गोरखनाथ मंदिर गोरखनाथ का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है और यह शहर के बीचों बीच स्थित है। यह मंदिर उस जगह बनाया गया है जहाँ गुरु गोरखनाथ साधना किया करते थे। यह मंदिर 52 एकड़ जमीन पर बनाया गया है। यह मंदिर इस क्षेत्र में सबसे सुंदर और विशिष्ट मंदिरों में से एक है। प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी के दिन यहां मकर सक्रांति मेले का आयोजन किया जाता है। लाखों की संख्या में भक्त और पर्यटक विशेष रूप से मंदिर में होने वाले मेले में सम्मिलित होते हैं।
गोरखनाथ नाथ (गोरखनाथ मठ) नाथ परंपरा में नाथ मठ समूह का एक मंदिर है. इसका नाम गोरखनाथ मध्ययुगीन संत गोरखनाथ (सी. 11 वीं सदी ) से निकला है जो एक प्रसिद्ध योगी थे जो भारत भर में व्यापक रूप से यात्रा करते थे और नाथ सम्प्रदाय के कैनन के हिस्से के रूप में ग्रंथों के लेखक भी थे ।
नाथ परंपरा गुरु मत्स्येंद्रनाथ द्वारा स्थापित की गयी थी. यह मठ एक बड़े परिसर के भीतर गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में स्थित है. 'गोरखनाथ' मंदिर उसी स्थान पर स्थित है जहां वह तपस्या करते थे और उनको श्रद्धांजलि समर्पित करते हुए यह मन्दिर की स्थापना की गयी थी.
गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर गुरु गोरखनाथ के नाम पर रखा गया जिन्होंने अपनी तपस्या के सबक मत्स्येंद्रनाथ से सीखे थे, जो नाथ सम्प्रदाय (मठ का समूह) के संस्थापक थे. अपने शिष्य गोरखनाथ के साथ मिलकर, गुरु मत्स्येंद्रनाथ ने हठ योग स्कूलों की स्थापना की जो योग अभ्यास के लिये बहुत अच्छे स्कूलों में से माना जाता था.
क़रीब 52 एकड़ के सुविस्तृत क्षेत्र में स्थित इस मंदिर का रूप व आकार-प्रकार परिस्थितियों के अनुसार समय-समय पर बदलता रहा है। वर्तमान में गोरक्षनाथ मंदिर की भव्यता और पवित्र रमणीयता अत्यन्त कीमती आध्यात्मिक सम्पत्ति है। इसके भव्य व गौरवपूर्ण निर्माण का श्रेय महिमाशाली व भारतीय संस्कृति के कर्णधार योगिराज महंत दिग्विजयनाथ जी व उनके सुयोग्य शिष्य वर्तमान में गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ जी महाराज को है, जिनके श्रद्धास्पद प्रयास से भारतीय वास्तुकला के क्षेत्र में मौलिक इस मंदिर का निर्माण हुआ।